राजमाता जिजाऊं चा इतिहास...

जीजाबाई शाहजी भोसले राजमाता जीजाबाई और साधारणतः जीजाई के नाम से जानी जाती है. और वह मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की माता है.

जीजाबाई का जन्म 12 जनवरी 1598 को हुआ, और वह महाराष्ट्र राज्य के बुलडाणा जिले के सिंदखेड राजा के लखोजीराव जाधव की बेटी थी. उस समय की परम्पराओ के अनुसार। अल्पायु में ही शाहजी राजे भोसले से विवाह हो गया, जो निजामशाही के दरबार में सैन्य दल के सेनापति थे. जीजाबाई ने 8 बच्चों को जन्म दिया जिनमे से 6 बेटिया और 2 बेटे थे. और उनमें से ही एक शिवजी महाराज भी थे.

जीजाबाई ने इतिहास में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये जो मराठा साम्राज्य के विस्तार के लिये सहायक साबित हुए.

जीजाबाई एक चतुर और बुद्धिमान महिला थी. जीजाबाई शिवजी को प्रेरणादायक कहानिया सुनाकर प्रेरित करती थी. उनसे प्रेरित होकर ही शिवाजी ने स्वराज्य हासिल करने का निर्णय लिया. उस समय उनकी आयु केवल 17 साल की ही थी. शिवाजी से महान शासक का निर्माण करने में जीजाबाई का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

कुछ ही समय बाद 17 जून 1674 को जीजाबाई की मृत्यु हो गयी.

जीजाबाई एक तेजस्वी महिला थीं. जीवन भर पग-पग पर कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए उन्होंने धैर्य नहीं खोया. उन्होंने शिवाजी को महान वीर योद्धा और स्वतन्त्र हिन्दू राष्ट्र का छत्रपति बनाने के लिए अपनी सारी शक्ति, योग्यता और बुद्धिमत्ता लगा दी. शिवाजी को बचपन से बहादुरों और शूर-वीरों की कहानिया सुनाया करती थीं. गीता और रामायण आदि कथाये सुनकर उन्होंने शिवाजी के बाल-ह्रदय पर स्वाधीनता की लौ प्रज्वलित कर दी थी. उनके दिए हुए इन संस्कारों के कारण आगे चलकर वह बालक हिन्दू समाज का संरक्षक एवं गौरव बना. दक्षिण भारत में हिन्दू स्वराज्य की स्थापना की और स्वतन्त्र शासक की तरह अपने नाम का सिक्का चलवाया तथा ‘छत्रपति शिवाजी महाराज’ के नाम से ख्याति प्राप्त की.

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